किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) भारतीय किसानों के लिये सरकार द्वारा लॉन्च की गयी एक योजना है जिसके अंतर्गत किसानों को कम ब्याज दर पर बैंको द्वरा ऋण उपलब्ध कराना है। ताकि उन्हें असंगठित क्षेत्र से ज़्यादा ब्याज दरों पर पैसा उधार ना लेना पडे। किसान आवश्यकता पड़ने पर इस कार्ड से लोन ले सकते हैं। यदि किसान समय पर भुगतान करते हैं तो इस लोन पर लागू ब्याज दर भी कम ही रहती है।
किसान क्रेडिट कार्ड जिसको के.सी.सी. (kcc) लोन के नाम से भी जानते है, उसके बारे में कुछ तथ्य साझा करने जा रहा हूं। उन सब तथ्यों के आधार पर आप को ये समझने में आसानी होगी कि लोन समय पर भरने से फायदा है या लोन माफी का इंतज़ार करने में।
(1)किसान क्रेडिट कार्ड पर 1 रुपए से लेकर 3 लाख रुपए तक 7% की दर से ब्याज लगता है जो छ: माही आधार पर(31 मार्च और30 सितंबर को )लगता है, अगर आपने एक वर्ष के भीतर अपने खाते का नवीनीकरण जिसको ज्यादातर लोग के.सी.सी. पलटी करवाना भी बोलते है, करवा लिया तो आपको सब्सिडी के रूप में 3% ब्याज वापस मिल जाता है। यानी जो किसान समय से अपना लोन भर देते है, उसको केवल 4 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ही यह लोन मिलता है।
(2) जो किसान एक वर्ष के भीतर अपने खाते का नवीनीकरण नहीं करवा पाते उन्हें सब्सिडी का फायदा भी नहीं मिल पाता, और साथ में ज्यादातर बैंको में उसके लोन पर ब्याज के साथ पेनल्टी भी लगती है, और उसके खाते पर ब्याज दर 7% के स्थान पर 9% लगने लगयी जाती है, इसके साथ ही प्रतिवर्ष यह ब्याज दर बढ़ती रहती है, कुछ मामलो और बैंको में यह 3 वर्ष बाद 14 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
बहुत से किसान नेताओ के चुनावी वादों के चक्कर में किसान भाई लोन माफी की उम्मीद में अपने खातों को नियमित नहीं भरते और जब बैंक रोड़ा के तहत जमीन नीलामी की कारवाई करता है तब ब्याज,पेनल्टी ,लीगल चार्ज और रोड़ा चार्ज के साथ पैसे जमा करवाते है।
(4)कोई भी सरकार कभी भी सम्पूर्ण के.सी.सी लोन माफ नहीं कर पाएगी, जब भी कोई सरकार लोन माफी की घोषणा करती है तो लोगो को लगता है, की उनका सम्पूर्ण लोन माफ हो जाएगा ,लेकिन जब बैंको के पास इसका सर्कुलर आता है,तो पता चलता है कि उसमे बहुत सी शर्तें है, और केवल किसानों का बीस हजार, तीस हजार अधिकतम 50 हजार तक का ही कर्जा माफ हुआ है, उसमे भी बहुत सी छुपी हुई शर्तें।
अब एक एग्जाम्पल के माध्यम से समझते है,
माना किसी किसान ने 3 लाख रुपए का केसीसी लोन लिया और वह उसका तीन वर्ष तक समय पर नवीनीकरण कराता रहा तो उसने 4 वर्ष में कूल ब्याज 12000*4=48000 रुपए भरा।
अब दूसरे मामले किसान ने लोन माफी के इंतज़ार में 4 वर्षो तक एक रुपया भी नहीं भरा तो उसका
पहले वर्ष का ब्याज = 300000 का 7 प्रतिशत =21000(एक वर्ष बाद कूल मूलधन 321000)
दूसरे वर्ष का ब्याज=321000 का 9 प्रतिशत=28890(दूसरे वर्ष के बाद कूल मूलधन 349890)
तीसरे वर्ष का ब्याज=349890 का 11 प्रतिशत =38487(तीसरे वर्ष के बाद कूल मूलधन 388377)
चोथे वर्ष का ब्याज=388377 का 14 प्रतिशत=87472
4 वर्षो बाद कूल मूलधन=475849
उक्त दोनों मामलों में हमने देखा जिस किसान ने अपने लोन का भुगतान समय पर किया है उसे केवल 48000 रुपए का ब्याज भरना पड़ा और जिसने समय पर भुगतान नहीं किया उसे केवल ब्याज के रूप में 175849 रुपए भरने पड़े, अगर इस पर पेनल्टी ,लीगल चार्ज और रोड़ा चार्ज जोड़ते है तो यह राशि लगभग 250000 के लगभग जाती है।
(5)अगर आपने समय पर भुगतान नहीं किया तो आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है जिससे भविष्य में आपको कोई भी लोन लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
(6)बहुत से किसान समझौते के तहत लोन में छूट के इंतज़ार में बैठे रहते है ,तो मैं उनको बताना चाहता हूं समझौते के तहत लोन बैंक ज्यादातर उन मामलों में ही करता है जब बैंक ने रिकवरी के अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर लिए और ऑक्शन भी फ़ैल हो जाए, और खाते को एनपीए हुए काफी ज्यादा समय हो जाए।
(7)अगर एकमुश्त समझौते के तहत आपने लोन राशि में कुछ छूट के साथ लोन बंद भी करवा लिया तो वो भी आपकी सिबिल में दिखता है कि आपने लोन को समझौते के तहत बंद करवाया है तो आपको कहीं दुबारा से लोन नहीं मिलेगा।
5 साल में एक बार चुनाव होते है चुनावों के आसपास अगर कोई सरकार 40-50 हजार रूपए माफ भी कर देती है तो भी आप उन किसानों के मुकाबले काफी नुकसान में रहते हो जिन्होंने अपने केसीसी का भुगतान समय पर किया है।
(8) जो भी किसान अपने खाते का समय पर नवीनीकरण करवाता है उसको बैंक प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत केसीसी लिमिट बढ़ाने की सुविधा भी देता है।
(9)अगर आपके पास केसीसी पलटी के समय पूरी राशि नहीं भी होती है तो भी ज्यादातर बैंक केवल ब्याज जमा करवा कर लिमिट नवीनीकरण कर देते है।
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