Friday, July 22, 2016

टमाटर की उन्नत खेती कैसे करे?



किसान भाईयो इस लेख मे हम आपको टमाटर की उन्नत खेती के बारे मे जानकारी देगें। जिस्से हमारे किसान भाई वैज्ञानिक तरीके से टमाटर की फसल उगाकर अधिक से अधिक लाभ ले सके।
टमाटर →  किसान भाईयो टमाटर की सामान्य तथा हाइब्रिड दोनो प्रकार की किस्में होती है। सामान्यत: टमाटर की मुक्त परागीत किस्मो के फल के छिलके पतले होते है। और उनमें जूस की मात्रा अधिक होती है।तथा फल में खटास अच्छा होती है। जबकि दूसरी शंकर किस्मो के फल सामान्य आकार के व लाल रंग के होते है तथ इनके फलो का छिलका अधिक मोटा होता है,शंकर किस्म के फलो को कमरे के तापमान पर कई दिन तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है।
बुवाई का समय
किसान भाईयो उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रो में टमाटर की मुख्य रूप से दो फसल ली जाती है।एक बरसात की फसल जिसकी जून जुलाई में पौध तैयार करके जुलाई अगस्त के महीने में रोपाई की जाती है।  इस फसल का फल अक्टूबर व नवम्बर में तैयार हो जाता है।
जबकि दूसरी फसल ठण्डी मे अक्टूबर माह मे पैध तैय्यार करके रोपाई की जाती है।
ठण्डी मे ली जाने वाली फसल के लिये किसान भाईयो टमाटर की शंकर किस्मो को लगाना अधिक  लाभ प्रद है।इस फसल मे टमाटर का फल जनवरी से लेकर अप्रैल तक उपलब्ध रहता है।और मौसम के कारण टमाटर का फल खराब होने की आशंका भी कम हौती है।
किसान भाईयो टमामटर ऐसी फसल हे जिसको हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता हैं।फिर भी अच्छे जल निकास वाली मिट्टी जिसका पीएच मान 06 से 07 हो वह टमाटर के लिये उपयुक्त मानी जाती है।

खेत की अच्छे से 03 से 04 बार गहरी जुताई करके खेत को समतल कर लेना चाहिये।
खाद तथा उर्वरक
किसान भाईयो खाद किसी भी फसल के लिये महत्वपूर्ण तत्व हे अत: इसकी सही मात्रा सही समय पर ही देनी चाहिये।
टमाटर की अच्छी फसल के लिये खेत की अन्तिम जुताई करते समय 30 टन गोबर की सडी खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिये।
इसके अतिरिक्त टमाटर की फसल के लिये 150 किलोग्राम नत्रजन ,60 किलोग्राम फासफोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश प्रति किलोग्राम की दर से आवश्यकता पडती है।
टमाटर की पौध तैयार करना
पौध तैयार करने के लिये जमीन की सतह से 15 से 20 सेन्टी मीटर ऊचाई की क्यारी बनाकर इसमे बीज की बुवाई करते है। बीज की बुवाई करते समय बीज को मिट्टी मे ढेड से दो सेन्टीमीटर गहराई मे लगाते है तथा पक्तियों में बुवाई करते है। बीज की बुवाई के बाद क्यारी की ऊपरी सतह पर सडी हुई गोबर की खाद की पतली परत डालते है। तेज धूप, बरसात व ठंड से बचाने के लिए घास फूस से क्यारी को ढक देते है।  पूर्ण रूप से बीज अंकुरित हो जाने पर घास फूस हटा देना चाहिये।

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पौध की रोपाई
जब पौध पांच से छः पत्ती की हो जाए तो इसे 60 सेन्टी मीटर चाौडी तथा जमीन की सतह से 20 सेन्टी मीटर ऊंची उठी हुई क्यारिया बनाकर इन पर रोपाई करते है। क्यारियो के दोनो तरफ 20 सेन्टी मीटर चैडी नालिया बनाते है। क्यारियो पर पौध की रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेन्टी मीटर रखते है।
खेत की सिचांई
किसान भाईयो टमाटर की फसल के लिये पहली सिचांई पौध रोपई के बाद की जाती है। इसके बाद फसल की आवश्यकता अनुसार समय-समय पर सिचांई करते रहना चाहिये।
खर पतवार नियन्त्रण तथा निराई-गुडाई
टमाटर क् अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर निराई-गुडाई करना चाहिये।
पहली निराई पौध रोपण के 20 दिन बाद करे। तथा दूसरी निराई पौध रोपण के 40 दिन बाद करना चाहिये।
फसल सुरक्षा तथा रोग से बचाव
किसान भाईये टमाटर की फसल मे लगने वाले रोग तथा उनका बचाव निम्न प्रकार है।
आद्र गलन ‘‘ डैम्पिंक आफ → आद्र गलन टमाटर की फसल का प्रमुख रोग है। इसके बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व कैपटाम व धीरम से उपचारित करना चाहिये। अगैती झुलसा- कापर आक्सी क्लोराइड की तीन ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर झिडकाव करना चाहिये।
पत्ती मोड विषाणु रोग→ पत्ती मोड विषाणु रोग मे सर्वप्रथम रोग ग्रस्त पौधे को उखाड कर जला देना चाहिये तथा मोनोक्रोटोफास दवा की दो मिली ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करना चाहिये।
टमाटर की प्रमुख प्रजातियां
काशी अमृत,काशी अनुपम,पूसा,स्र्वण वैभव,अविनाश-2 ,रूपाली अर्का रक्षक आदि
उपज- 500 से 700 कुन्तल प्रति हेक्टेयर बीज दर- 300 से 450 ग्राम प्रति हेक्टेयर
फसल तैयार होने की अवधि → लगभग60 से 90 दिन मे टमाटर की फसल तैयार हो जाती है। जिसके के बाद किसान भाई फलो की तुडाई शुरू कर देते है।


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1 comment:

  1. Sar Arka Rakshak tamatar ke bich ka Chayan Varsha Ritu Mein kar sakte hain?

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