Friday, January 19, 2018

अर्का रक्षक प्रजाति के टमाटर से किसान कर रहे है अधिक कमाई



किसान भाईयो आमतौर पर टमाटर का एक पौधा 5 किलो से लेकर 10 किलो तक टमाटर देता है।। अधिक लागत और कड़ी मेहनत से किसान भाई एक पौधे से 12 से 14 किलो तक टमाटर प्रप्त करलेते है। लेकिन
हम इस लेख मे जिस प्रजाति के टमाटर के पौधे का जिक्र करने जा रहे हैं वो कोई मामूली टमाटर के पौधे नहीं है। बल्कि भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) द्वरा विकसित किया गया है। जिस की पैदावार आम प्रजाति के पौधों से कही अधिक है। इस प्रजाति के एक पौधे से 19 किलो टमाटर का उत्पादन प्रप्त हुआ है। 



रिकॉर्ड बनाने वाली टमाटर की इस नई उन्नतशील प्रजाति का नाम अर्का रक्षक है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने परिशोधन खेती के अंतर्गत उन्नतशील प्रजाति के इस पौधे से इतनी उपज प्राप्त की है।
इस विधि से टमाटर उत्पादन का ये उच्चतम उपज स्तर है। इस रिकार्ड तोड़ उत्पादन ने टमाटर की खेती करने वाले किसानों भाईयो के चेहरे पर खुशिया ला दी है।  भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान अर्कावथी नदी के किनारे स्थित होने के कारण ही उत्पादन के रिकॉर्ड बनाने वाली टमाटर की इस नई प्रजाति को अर्का रक्षक नाम दिया गया है।

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इस नई प्रजाति के बारे में संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक और सब्ज फसल डिवीजन के प्रमुख एटी सदाशिव जानकारी देते हुए बताते है कि पूरे देश में टमाटर की ये सर्वाधिक उपज है। और वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार टमाटर की ये प्रजाति देश में टमाटर की सबसे ज्यादा उपज देने वाली प्रजाति साबित हुई है।
उन्होंने बताया कि टमाटर के संकर प्रजाति के दूसरे पौधों से अबतक सर्वाधिक उपज 15 किलो तक रिकार्ड की गई है। उन्होंने कहा कि जहां कर्नाटक में टमाटर का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 35 टन है। वहीं अर्का रक्षक प्रजाति की टमाटर का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 190 टन तक प्राप्त हुआ है।
इस नई प्रजाति के टमाटर के पौधे को लेकर किसानों के बीच काफी उत्सुकता पाई गई है। कई किसान इसकी खेती को लेकर काफी खुश नज़र आ रहे हैं। और कुछ किसान भाई तो इस प्रजाति के टमाटर की खेती कर रिकार्ड उपज भी प्राप्त कर चुके हैं।

इन्ही किसानों मे से एक किसान चंद्रापप्पा जो कि चिक्कबल्लपुर जिले के देवस्थानदा हौसल्ली के रहने वाले है उन्होंने इस उन्नतशील प्रजाति के 2000 टमाटर के पौधे अपने आधे एकड़ के खेत में लगाकर 38 टन टमाटर की उपज प्राप्त की है जबकि इतनी संख्या मे ही अन्य हाइब्रिड टमाटर के पौधे से उन्हें लगभग 20 टन टमाटर का उत्पादन प्राप्त होता था।
डॉ सदाशिव अर्का रक्षक प्रजाति के बारे में जानकारी देते हुए बताते है कि ये प्रजाति सिर्फ उच्च उत्पादन देने वाली प्रजाति ही नहीं है बल्कि टमाटर के पौधों में लगने वाले तीन प्रकार के मुख्य रोग जैसे- पत्तियों में लगने वाले कर्ल वायरस, विल्ट जिवाणु और फसल के शुरूआती दिनों में लगने वाले विल्ट जिवाणु से सफलतपूर्वक लड़ने की भी इन पौधों मे प्रतिरोधक क्षमता मौजुद हैं। उनका कहना है कि अर्का रक्षक की खेती करने से किसानों के कवक और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च की बचत भी होती है। जिससे टमाटर की खेती की लागत में दस फीसदी तक की कमी आती है।
इसके साथ ही गहरे लाल रंग के इस टमाटर की खेती के कुछ अन्य फायदे भी हैं। जैसे इसके गहरे रंग की वजह से इन टमाटरों को अधिक दूरी तक ट्रांसपोर्ट के जरिए भेजा जा सकता है। अन्य सामान्य प्रजातियों के टमाटरों की फसल को पौधों से तुड़ाई के बाद छह दिनों तक रखा जा सकता है। जबकि संकर प्रजाति के टमाटर दस दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन अर्का रक्षक प्रजाति के टमाटर पंद्रह दिनों तक आसानी से किसी अन्य प्रयास के सुरक्षित रखे जा सकते हैं।

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9 comments:

  1. सर अर्क रक्षक टमाटर बरसात में कर सकते हैं क्या कृपया बताइए

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  2. Sir hame tamater ka seed chahiye

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  3. Nice and valuable information from u r site..
    https://businesskaushal.blogspot.com

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  4. Sir cg k climate k liye suitable hai ya nhi

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  5. Haryana me arsk raksak tomato ki padawar hogi kya sat

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  6. August me arsk raksak tomato ki padawar hogi kya sar .vill Dharwan bass Ditt Bhiwani .Haryana

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  7. हमने समय पूछा था कब लगाया जाता है

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