जहा एक तरफ हमारे किसान भाई खेती से होने वाली आय को लेकर काफी परेशान है और कर्ज में डूबते जा रहे है वही कुछ उन्नत किसान ऐसे हालात में भी उम्मीद की एक किरण है। जो किसानों को हिम्मत और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते है। ऐसे ही एक उन्नत किसान है खेडी मल्लाह गांव के रहने वाले किसान हरबंस सिंह। उन्नत किसान हरबंस सिंह ने 1999 में ही पारंपरिक खेती को छोड़कर फूलों की खेती अपनाई
और आज हरबंससिंह की आंखों में सफलता की चमक आसानी से देखी जा सकती है। करीब 10 एकड़ में फूलों की आधुनिक खेती करने वाले उन्नत किसान हरबंस सिंह कहते हैं कि उन्होंने ग्रैजुएशन तक पढ़ाई की लेकिन इसके बावजूद भी वह दूसरों की तरह सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे। बल्कि उन्होंने अपने पारिवारिक पेशे को ही चुनाऔर आज सालाना 40 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
और आज हरबंससिंह की आंखों में सफलता की चमक आसानी से देखी जा सकती है। करीब 10 एकड़ में फूलों की आधुनिक खेती करने वाले उन्नत किसान हरबंस सिंह कहते हैं कि उन्होंने ग्रैजुएशन तक पढ़ाई की लेकिन इसके बावजूद भी वह दूसरों की तरह सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे। बल्कि उन्होंने अपने पारिवारिक पेशे को ही चुनाऔर आज सालाना 40 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
हरबंस सिंह के पिता हाकम सिंह भी अपने बेटे की इस सफलता से खुश हैं। हाकिम सिंह बताते हैं कि किस तरह से शुरूआती दो-तीन सालो में उन्हें कई मुश्किलो का सामना भी करना पड़ा। लेकिन उनके पुत्र ने हिम्मत नही हरि और अब सबकुछ ठीक है। वह बताते है कि पांच एकड़ जमीन उनकी अपनी पुश्तेनी जमीन है और पांच एकड़ जमीन उन्होंने ठेके पर ले रखी है। जिस पर फूलो की खेती की जाती है। वह अपने खेतों मे फूलों की अलग-अलगकिस्में जैसे मैरी गोल्ड , जाफरी, गुलदाउदी आदि की खेती करते हैं। जिनकी मांग बाजार मे बनी रहती है।
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हरबंस सिंह बताते है कि पहले वह पारम्परिक खेती ही करते थे। जिसमें गेहूं और धान की फसल उगाई जाती थी। इस पारम्परिक खेती से उन्हें 5 लाख रुपए ही प्राप्त होते थे। लेकिन फूलो फसल से अब उनको अच्छी आमदनी हो रही है।
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हरबंस सिंह ने बताया कि पहले पेशेवर खेती से कमाई कुछ खास नहीं हो रही थी। फिर उन्होंने समय के साथ-साथ नई तकनीकों को अपनाने के बारे में विचार किया। और इसी विचार से नई तकनीकों को अपनाते हुए उन्होंने फूलों की खेती की शुरुआत की और आज एक सफल किसान के रूप में हमारे सामने है।
हरबंस सिंह कहते है कि खेती में खर्चे बहुत बढ़ गए हैं। इसलिए आमदनी का भी उसी अनुपात मे बढ़ाना जरूरी था। और यह तभी संभव हो सका जब पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक अपनाई गयी।
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हरबंस ने कुछ परेशानियों के बारे में बताते हुए कहा कि दो साल से फूलों की खेती करने वाले किसानों को जो सब्सिडी सरकार देती थी अब वह बंद हो गई है। जिससे फूलो की खेती करने वाले किसानों पर इसका बुरा असर पड़ा है। अगर सरकार आर्थिक मदद देना फिर शुरू करदे तो दूसरे किसान भी फूलों की खेती की तरफ आकर्षित होंगे। तथा फूलों की खेती से पंजाब के पानी की बचत के साथ साथ बिजली की भी बचत होगी। इस खेती पर मौसम का प्रभाव भी कम रहता है।
खेतीबाड़ी विभाग से प्रगति शील खेती के लिए सम्मानित हो चुके हाकम सिंह ने कहा कि उनके अलावा भी यहा के कई दूसरे किसान जन्मे भरपूर सिंह, बलबीर सिंह, महिंदर सिंह, परगट सिंह तथा जसवीर सिंह आदि भी फूलों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार से पटियाला में ही फूलों की मंडी स्थापित करने की अपील की, ताकि यहां के किसानों को फूल बेचने के लिए लुधियाना या दिल्ली
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