किसान भाइयों के सच्चा साथी किसान हेल्प रूम इस बार अपने किसान भाइयों के लिए एक ऐसी खेती की जानकारी लेकर आया है। जिसे अपना कर वे किसान भाई अपनी आय को बढ़ा सकते है जो शहरों के आस-पास खेती करते है।
किसान भाइयों जैसा कि आप सब जानते ही हो कि भारतीय व्यंजनों में हरी सब्जिया अपना एक अलग ही महत्व हैं। और इन हरी सब्जियों में भी पालक अपना एक अलग ही स्थान रखता है। ठंड के दिनों में जहां मक्की की रोटी और सरसों, पालक का साग लोगो को ख़ासा पसंद आता है। वही सालभर पालक-पनीर भी लोगो के खाने का स्वाद बढ़ता है। पालक का अपना एक विशेष महत्व है। यह एक ऐसी हरी सब्जी है जो को आयरन, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। और साथ ही विटामिन B12, पोटेशियम और फाईबर भी पालक में प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है।
किसान भाइयों जैसा कि आप सब जानते ही हो कि भारतीय व्यंजनों में हरी सब्जिया अपना एक अलग ही महत्व हैं। और इन हरी सब्जियों में भी पालक अपना एक अलग ही स्थान रखता है। ठंड के दिनों में जहां मक्की की रोटी और सरसों, पालक का साग लोगो को ख़ासा पसंद आता है। वही सालभर पालक-पनीर भी लोगो के खाने का स्वाद बढ़ता है। पालक का अपना एक विशेष महत्व है। यह एक ऐसी हरी सब्जी है जो को आयरन, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। और साथ ही विटामिन B12, पोटेशियम और फाईबर भी पालक में प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है।
किसान भाइयों पालक की खेती एक ऐसी खेती है जो काम लागत के साथ-साथ बहुत ही कम समय मे अच्छा मुनाफा देती है। पालक की 1 बार बुवाई करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई की जाती है। एक बार पालक की कटाई होने के बाद लगभग 15 दिनों मे दोबारा कटाई योग्य हो जाता है। पालक की खेती करने वाले किसानों द्वारा इसकी खेती पूरे साल की जाती है। अलग अलग महीनों में इस की बुवाई करनी पड़ती है। इस से किसानों को सालभर नकदी भी प्राप्त होती है।
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कैसे करे पालक की उन्नत खेती?
वैसे तो जो लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हुए है खेती करने के बारे में जानते है। लेकिन हम इस लेख में उन्नत तरीके से पालक की खेती करने के बारे में बता रहे है जिसे उपयोग में लाकर किसान भाई अपनी आय मे व्रद्धि कर सकते है।
पालक की खेती करने के लिए सबसे पहले किसान भाई खेत का चुनाव कर ले। इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उत्तम रहती है जिसमे जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो और सिंचाई के लिए भी पानी की अच्छी व्यवस्था हो।
वैसे तो जो लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हुए है खेती करने के बारे में जानते है। लेकिन हम इस लेख में उन्नत तरीके से पालक की खेती करने के बारे में बता रहे है जिसे उपयोग में लाकर किसान भाई अपनी आय मे व्रद्धि कर सकते है।
पालक की खेती करने के लिए सबसे पहले किसान भाई खेत का चुनाव कर ले। इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उत्तम रहती है जिसमे जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो और सिंचाई के लिए भी पानी की अच्छी व्यवस्था हो।
खेत की तैयारी = पालक की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से 2-3 बार जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए। इसके लिए हैरो या कल्टीवेटर से 2-3 बार जुताई की जानी चाहिए। जुताई के समय ही खेत से खरपतवार भी निकाल देने चाहिए। अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में पाटा लगाने से पहले 25 से 30 टन/हे. की दर से गोबर की सड़ी खाद व 1 क्विंटल नीम की खली या नीम की पत्तियों से तैयार की गई खाद को खेत में बिखेर देना चाहिए। अब आपका खेत पालक बुवाई के लिए तैयार है।
बुवाई का समय = वैसे तो पालक की खेती किसानों द्वारा पूरे साल की जा सकती है। लेकिन फरवरी से मार्च व नवंबर से दिसंबर के महीनों मे इसकी बुवाई करना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
बीज की मात्रा व बुवाई = किसान भाईयो पालक की अच्छी पैदावार लेने के लिए पालक की उन्नत प्रजातियों का 25-30 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर की दर से बुवाई किया जाता है। अच्छे जमाव के लिए बुवाई से पहले बीजों को 5-6 घंटे तक पानी में भिगो कर रखा जाता है। बुवाई के समय खेत में नमी का होना जरूरी है। अगर पालक को लाइनों में बोया जा रहा है तो लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर व पौधे से पौधे की दूरी भी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। यदि आप छिटकवां विधि से बुवाई करते है तो यह ध्यान रखें कि बीज ज्यादा पासपास न गिरने पाएं।
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पालक की उन्नत प्रजातियां = पालक की उन्नत प्रजातियों में जोबनेर ग्रीन, हिसार सिलेक्सन 26, पूसा पालक, पूसा हरित, आलग्रीन, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, लांग स्टैंडिंग, पूसा भारती, पंत कंपोजिटी 1, पालक नंबर 15-16 प्रमुख प्रजातीय हैं।
इन प्रजातियों के पौधे लंबे होते हैं। इन के पत्ते कोमल,हरे व खाने में स्वादिष्ठ होते हैं।
इन प्रजातियों के पौधे लंबे होते हैं। इन के पत्ते कोमल,हरे व खाने में स्वादिष्ठ होते हैं।
खरपतवार व कीट नियंत्रण = पालक में वैसे तो कीटो का प्रकोप कम ही होता है। लेकिन गर्मियों मे ली जाने वाली फसल पर पत्ता खाने वाली इल्लियों को प्रकोप देखा जा सकता है। पालक मे खरपतवार होने की संभावना अधिक बनी रहती है। पालक की फसल में किसी भी तरह के रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से किसान भाईयो को बचना चाहिए। अगर फसल में खरपतवार उग आएं तो उन्हें जड़ से उखाड़ देना चाहिए। पालक की फसल में कैटर पिलर नाम का एक कीट पाया जाता है। ये कीट पहले पत्तियों को खाता है और बाद में तने को भी नष्ट कर देता है। इस कीट से निजात पाने के लिए किसान भाइयों को जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग चाहिए। जैविक कीटनाशक के रूप में किसान नीम की पत्तियों का घोल बना कर 15-20 दिनों के अंतर पर छिड़काव कर सकते हैं। इस के अलावा 20 लीटर गौमूत्र में 3 किलोग्राम नीम की पत्तियां व आधा किलो तंबाकू घोल कर फसल में छिड़काव कर कीट नियंत्रण किया जा सकता है। इसके अलावा WEST D COMPOSSER के घोल के साथ नीम की पत्तियों को मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
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खाद व उर्वरक = पालक की खेती के लिए गोबर की सड़ी खाद व वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल ही सब से सही होता है। इससे मिटटी को सही पोषक तत्व मिलते है और पालक की फसल भी अच्छी होती है।बुवाई के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस व 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालने से पैदावार बहुत अच्छी होती है। इस के अलावा पालक की प्रत्येक कटाई के बाद 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन का बुरकाव खेत में करते रहना चाहिए। इससे पालक की बढ़वार में अच्छी वृद्धि होगी।
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पैदावार तथा लाभ = पालक की बुवाई के 25 दिन बाद जब पत्तियों की लंबाई 15-30 सेंटीमीटर के करीब हो जाए तो पहली कटाई कर देनी चाहिए। किसान भाई पहली कटाई करते समय यह ध्यान रखें कि पौधों की जड़ों से 5-6 सेंटीमीटर ऊपर से ही पत्तियों की कटाई करे। इसके बाद प्रत्येक कटाई 15-20 दिनों के अंतर पर करते रहना चाहिए। पालक की कटाई के बाद तुरन्त फसल की सिंचाई करें इससे फसल मे तेजी से बढ़वार होती है।
पालक के उत्पादन की बात करे तो 1 हेक्टेयर भूमी से 150-250 क्विंटल तक की औसत उपज हासिल हो जाती है। जिसे अपने नजदीकी बाजार में 15-20 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बेच जा सकता है। इस प्रकार अगर प्रति हेक्टेयर लागत के 25 हजार रुपए निकाल दिए जाएं तो 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 200 क्विंटल से 3 महीने में ही 2 लाख, 75 हजार रुपए की आय हो जाती है।
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