हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी लाखों परिवार के लिए जीविकोपार्जन का जरिया बना हुआ हैं। समय के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती का भी विस्तार हुआ है लगातार
होने वाले इस विस्तार से वर्तमान में लगभग 1.7 लाख से भी अधिक परिवारों के जीविका का माध्यम है। हिमाचल प्रदेश में करीब 1,09,533 हेक्टेयर में सेब के बाग हैं। सूत्रों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सेब का रकबा 1950-51 के दौरान सिर्फ 40 हेक्टेयर होता था। सेबों के बाग में विस्तार होता गया और वर्तमान में फलों के कुल क्षेत्र का करीब 49 प्रतिशत क्षेत्र सेब के अंतर्गत है। सरकार के कोशिश के कारण सेब की खेती का दायरा बढ़ा है और शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा तथा सिरमौर जिले और अब लाहौल-स्पीति जैसे आदिवासी बहुल जिलों में भी सेब की खेती प्रमुख तौर पर होती है। लोग बड़े पैमाने पर सेब की खेती करते हैं। इस क्षेत्र के लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है और लोगों की जीवनशैली बहुत बेहतर हुई। सरकार लोगों को ज्यादा उपज देने वाली सेब की किस्में मुहैया करा रही है और उत्पादकों को बेहतर विपणन बुनियादी ढांचा मुहैया करा रही है जिस से सेब की खेती को किसानो के लिये अधिक लाभदायक बनाया जा सके।
होने वाले इस विस्तार से वर्तमान में लगभग 1.7 लाख से भी अधिक परिवारों के जीविका का माध्यम है। हिमाचल प्रदेश में करीब 1,09,533 हेक्टेयर में सेब के बाग हैं। सूत्रों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सेब का रकबा 1950-51 के दौरान सिर्फ 40 हेक्टेयर होता था। सेबों के बाग में विस्तार होता गया और वर्तमान में फलों के कुल क्षेत्र का करीब 49 प्रतिशत क्षेत्र सेब के अंतर्गत है। सरकार के कोशिश के कारण सेब की खेती का दायरा बढ़ा है और शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा तथा सिरमौर जिले और अब लाहौल-स्पीति जैसे आदिवासी बहुल जिलों में भी सेब की खेती प्रमुख तौर पर होती है। लोग बड़े पैमाने पर सेब की खेती करते हैं। इस क्षेत्र के लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है और लोगों की जीवनशैली बहुत बेहतर हुई। सरकार लोगों को ज्यादा उपज देने वाली सेब की किस्में मुहैया करा रही है और उत्पादकों को बेहतर विपणन बुनियादी ढांचा मुहैया करा रही है जिस से सेब की खेती को किसानो के लिये अधिक लाभदायक बनाया जा सके।
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