Saturday, December 31, 2016

गेंहू मे लगने वाले प्रमुख रोग तथा कीट और इनसे बचाव Kisan Help Room



रबी की फसल के लिए सही समय से बुवाई की गई गेहूं की फसल में इस समय कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप देखने को मिल सकता है।
इस मौसम में अधिकतर नम पूर्वा हवा चलती है जिस के कारण गेंहू की फसल में कई प्रकार के रोग तथा कीटो का प्रकोप ज्यादा होता है। पूर्वा हवा चलने से रबी की फसल में नमी बनी रहती है और नमी के कारण कई तरह के कीट और रोग फसल में पनपने की आदर्श परिस्थियां बन जाती हैं।
कृषि विभाग द्वरा दिए गए आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष उत्तरप्रदेश मे 90 लाख हैक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर  गेहूं की बुआई हुई है।


डॉ उमेश कुमार जो कि केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र लखनऊ के प्रमुख है। वे कीट और रोग प्रबंधन के बारे में बताते हुए कहते हैं।कि हमारे किसान भाई किसी भी कीट या रोग का फसल पर प्रकोप होते ही सबसे पहले रासायनिक दवाओं की ओर ही भागते हैं। जबकि वैज्ञानिक तरीके से कीट और रोग नियंत्रण में रासायनिक दवाओं का प्रयोग सबसे आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए है।
कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पेश किये गए साल 2012-13 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश के किसान 26 रुपए की फसल की रक्षा के लिए एक रुपए का रसायन खर्च करते हैं।
गेहू की फसल को कीटों से बचाने के कुछ उपाय
1_  दीमक
गेंहू की फसल पर दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो इनकी रोकथाम के लिए दृविवेरिया बसिअना नामक दवाई या लिन्डेन नामक दवा का सुरक्षित छिड़काव करें। अगर आपके खेत में दीमक का प्रकोप हो चुका है तो इन से बचाव के लिए खेत मे गोबर की खाद का प्रयोग न करे बल्कि दीमक प्रभावित क्षेत्र में10 कुंतल प्रति हेक्टेयर के हिसाब नीम की खली  डाल सकते हैं।
2 _ माहू
यह पौधे का रस चूसने वाले छोटे कीट होते हैं जो मुलायम पौधों का रस चूस लेते है। इस कीट के शिशु तथा प्रौढ़ कीट पौधे की पत्तियों और बालियों से रस चूसते हैं। रोकथाम के लिए नीम तेल 1500 पीपीएम दो मिली / लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें। इसके अलावा इस कीट की रोकथाम के लिए येल्लो स्टिकी ट्रैप का भी प्रयोग कर सकते हैं। या फिर लाल मिर्च पाउडर के घोल का भी फसल पर छिड़काव लाभकारी होता है।
3_ गुलाबी तना बेधक

यह एक ऐसा कीट है जो तने को भीतर से खाकर पौधों को कमजोर कर देता हैं। इस किट की रोकथाम के लिए फेरोमोने ट्रैप का प्रयोग करें और नेपियर या सुडान घांस को रक्षक फसल के रूप मे खेत के चारों तरफ लगाएं।
गेंहू की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग तथा इन से बचाव
1-  झुलसा रोग
झुलसा रोग में पौधे की पत्तियों के नीचे कुछ पीले और कुछ भूरापन लिए हुए अण्डाकार धब्बे दिखाई देते हैं। जो कि बाद में पत्तियों के किनारों पर कत्थई भूरे रंग के हो जाते हैं।
झुलसा रोग बचाव के लिए प्रोपिकोनोजोल 25 प्रतिशत ईसी रसायन के आधा लीटर को 1000 लीटर पानी में घोलकर फसल पर इसका छिड़काव करें।
2-  गेरुई या रतुआ रोग
इस रोग में पौधों की पत्तियों पर फफूंदी के फफोले पड़ जाते हैं जो बाद में बिखर कर अन्य पत्तियों को भी रोग ग्रस्त कर देते हैं। इस रोग से बचाव के लिए एक प्रोपीकोनेजोल 25 प्रतिशत ईसी रसायन की आधा लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें।
इसके साथ ही चूहे भी गेंहू की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
गेहूं की खड़ी फसल को चूहे बहुत अधिक नुकसान पहुचाते हैं। इस लिए फसल तैयार होने तक दो या तीन बार चुंहो रोकथाम की आवश्यकता पड़ती है। इसकी रोकथाम के लिए जिंक फास्फाइड या बेरियम कार्बोनेट से बने जहरीले चारे का प्रयोग करें। जहरीला चारा बनाने के लिए जिंक फास्फाइड अथवा बेरियम कार्बोनेट100 ग्राम, गेहूं का आंटा 860 ग्राम, शक्कर 15 ग्राम तथा 25 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर बनाया हुआ जहरीला चारा प्रयोग करें।


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