Friday, February 21, 2025

महाकुंभ: नहाकर कपड़े बदलती हुई लड़कियों की वीडियो 1999 में ऑनलाइन बिक रही है।


 प्रयागराज। 144 साल बाद आए महाकुंभ में महिलाओं की निजता का बुरी तरह से हनन हो रहा है। महिलाओं और लड़कियों के गंगा में स्नान करने और कपड़े बदलने की तस्वीरे सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से बेची जा रही है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महाकुंभ क्षेत्र के थाना कोतवाली कुंभ में पुलिस ने 11 सोशल मीडिया चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करली है। पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। मिल रही जानकारी के अनुसार  कुंभ क्षेत्र में महिलाओं के स्नान के बाद कपड़े बदलने की तस्वीर सोशल साइट टेलीग्राम पर 1999 रुपये में बेची जा रही है. पुलिस को सोशल साइट से ही इस बारे में जानकारी मिली और उसके बाद पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए थाना कोतवाली में एक एफआईआर दर्ज करली है। इस मामले में पुलिस की जांच लगातार जारी है।
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Wednesday, February 19, 2025

अलीगढ़ में गुंडे उमेश के कारण मुस्लिमों ने लगाए पोस्टर

अलीगढ़ के एक गांव में रह रहे मुस्लिम पक्ष के लोगों द्वारा अपने घरों पर पलायन करने के पोस्टर चस्पा करने का मामला सामने आया है. जहां कोर्ट में विचाराधीन मकान के एक मामले में दबंग प्रवृत्ति के दूसरे पक्ष के लोगों द्वारा जबरन फर्जी बैनामा कराने का आरोप लगा है. इसके चलते मुस्लिम समुदाय के लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया और उन्होंने अपने-अपने घरों की दीवारों पर "यह मकान बिकाऊ है गुंडों के डर से" का पोस्टर लगा दिया. मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा घरों पर पलायन के पोस्टर लगाए जाने की सूचना पर पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और बातचीत कर कई घण्टे बाद पलायन के पोस्टर हटवाए गए.
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Tuesday, February 18, 2025

चुनाव में जीत के बाद लहराए लारेंस बिश्नोई के पोस्टर। 2 गिरफ्तार


घटना खेडा के महेमदावाद नगर निगम चुनाव में वॉर्ड नंबर 4 के नतीजे आने के बाद की है। प्रत्याशी की जीत के बाद, उनके समर्थक मतगणना केंद्र के बाहर जश्न मनाने पहुंचे थे।


गुजरात के खेड़ा ज़िले में एक मतगणना केंद्र के बाहर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें कुछ लोग गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर के साथ नाचते हुए दिख रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद अब पुलिस ने कार्रवाई की है। पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर तथा स्थिति को बिगाड़ने के आरोप में 2 लोगों को हिरासत में लिया हे।
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सासाराम रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों में तोफ़ोड़ करने के आरोप में 5 गिरफ्तार


महाकुंभ में पवित्र स्नान के लिए देशभर से करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए प्रयाग राज जा रहे है इसी के चलते पिछले दिनों सासाराम रेलवे स्टेशन पर कुछ लड़कों ने तोड़फोड़ की जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें शरारती तत्व एक ट्रेन के शीशे तोड़ते नजर आ रहे है। इस मामले में अब 5 लोगों पर कार्यवाही हुई है। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
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सऊदी अरब में रूस अमेरिका के बीच शांतिवार्ता से नाराज यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की।


यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने अमेरिका और रूस के बीच हुई शांति वार्ता पर सवाल उठाए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ के बीच यूक्रेन में चल रहे जंग को खत्म करने पर 18 फरवरी को सऊदी अरब में शांति वार्ता हुई थी

सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिका और रूस के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सवाल उठाते हुए कहा कि यूक्रेन की भागेदारी के बिना इसका कोई महत्व नहीं है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि युद्ध समाप्त करने को लेकर कोई भी चर्चा यूक्रेन की भागेदारी के बिना नहीं होनी चाहिए। 

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Monday, January 24, 2022

वर्मीकम्पोस्ट: (केंचुआ खाद) महंगाई में किसानों को देगी राहत

वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद)


वर्मी-कम्‍पोस्‍ट या वर्मीकल्‍चर इसे केंचुआ पालन भी कहा जाता हैं। इसमे विभिन्न प्रजाति के केंचुओं को गोबर तथा जैविक अपशिष्ट मिलाकर खिलाया जाता है। इन केंचुओ के मल से तैयार खाद ही वर्मी कम्‍पोस्‍ट कहलाती है। वर्मीकम्पोस्ट सभी प्रकार की फसलों के लिए प्राकृतिक, सम्‍पूर्ण एव्र संतुलित आहार है।
वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से भू‍मी में लगभग 5 गुणा नत्रजन, 1.5 गुणा विनिमयी सोडियम, 3 गुणा मैग्‍नीशियम, 7.2 गुणा सुलभ फासफोरस तथा 11 गुणा सुलभ पोटाश की मात्रा बढ जाती है। किसान भाईयो लगातार बढ़तीवी महंगाई के कारण रासायनिक उर्वरक भी महंगे होते जा रहे है। कम उत्पादन और अधिक खर्च के कारण किसान कर्ज के नीचे दबते जा रहे है। किसानों की हालत बदलने के उद्देश्य से केंद्रीय कृषि विभाग जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा है। जिससे उनकी फसल की लागत को कम करके  उत्पादन को बढ़ाया जा सके। हरितक्रांति के बाद से ही किसान तेजी से अपनी फसल में रासायनिक खाद का प्रयोग करते आरहे हैं जो कि जैविक खाद की तुलना में काफी महंगा होता है। और सही समय पर बाजार में उपलब्ध भी नही होता है। जबकि किसान घर पर ही कम खर्च मे कुछ आसान विधियों को अपनाकर अच्छी किस्म की वर्मी कम्पोस्ट खाद बना सकते हैं।
गोबर को फसल पोषण का सर्वाधिक श्रेष्ठ विकल्प माना जाता हैं। जिसमे पौधों के लिए आवश्यक सभी सूक्ष्म तत्व संतुलित मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इन सूक्ष्म तत्वों को पौधे बड़ी आसानी से अवशोषित कर लेते हैं। गोबर में उपस्थित सूक्ष्मजीव मृदा में उपस्थित जैव-भार के विघटन का कार्य बहुत ही सफलतापूर्वक करते हैं।
जैविक खाद बनाने की कई विधियां प्रचलन में हैं। जैसे कम्पोस्ट, नाडेप विधि, मटका खाद और वर्मी कम्पोस्ट आदि।
इस लेख में हम अपने पाठकों को वर्मीकम्पोस्ट विधि से जैविक खाद बनाने के बारे में जानकारी दे रहे है।
जैसा कि हमारे पाठकगण जानते है कि आजकल वर्मी कम्पोस्ट को तैयार करने का काम औद्योगिक स्तर पर भी हो रहा है। और कुछ प्रगतिशील किसान भी अपनी आवश्यकतानुसार घर पर ही इसे तैयार कर रहे है। वर्मी कम्पोस्ट विधि का प्रचलन अन्य विधियों की तुलना में आज कही अधिक है। इस विधि से उत्तम किस्म की जैविक खाद का निर्माण अपेक्षाकृत कम समय में हो जाता है। तथा इस विधि से बनाई गयी खाद की गुणवत्ता भी अधिक होती है। इसके साथ ही वर्मी कम्पोस्ट विधि से प्राप्त खाद का भण्डारण भी ज्यादा सहजता से किया जा सकता है। इन सब कारणों को ध्यान मे रखकर इस विधि के प्रति किसानों में स्वतः ही आकर्षण उत्पन्न हो रहा है।

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वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री


 वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए सभी प्रकार के जैव-क्षतिशील कार्बनिक पदार्थ जैसे गाय, भैंस, भेड़, गधा और मुर्गियों आदि का मल, बायोगैस स्लरी, जैविक कूड़ा-कचरा, फसल अवशेष, घास-फूस व पत्तियां तथा रसोई घर का कचरा आदि का उपयोग किया जा सकता है।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधियां

किसान भाईयो वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जाते है। इनमे से हम कुछ प्रमुख तरीको का वर्णन इस लेख में कर रहे है।

1- चार हौद विधि (Four-pit method)




किसान भाईयो चार हौद विधि से वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए चुने गये छायादार स्थान पर 12 फिट लम्बाई 12 फिट चौड़ाई और 2.5 फिट ऊंचाई का एक गड्‌ढा पक्की ईंटो से बनाया जाता है। इस गड्‌ढे को ईंट की दीवारों से 4 बराबर भागों में बांट दिया जाता है। तरह से हमारे पास 4 गडढे हो जाते है। प्रत्येक गड्ढ़े का आकार लगभग 5.5 फिट लम्बा, 5.5 फिट चौड़ा और 2.5 फिट ऊंचा होता है। बीच की विभाजक दीवार मजबूती के लिए दो ईंटों (9 इंच) की बनाई जाती है। इन विभाजक दीवारों में समान दूरी पर हवा व केंचुओं के आने जाने के लिए छिद्र छोड़ दिए जाते हैं। इस प्रकार की गढ्ढो की संख्या आवश्यकतानुसार रखी जा सकती है।
इस विधि में सबसे पहले एक गडढे को जैविक कचरे से पूरी तरह भरते है।
गडढे को भरने के लिए जैविक कचरे और गोबर को मिक्स करके भर सकते है। या फिर
गडढे में सबसे नीचे 5 से 6 इंच मोटी जैविक कचरे की परत बिछा कर उसके ऊपर एक 2 से 3 इंच की परत गोबर की बिछा देते है। इसी तरह एक के बाद एक परत बिछाकर गडढे भर लेते है।
पहले एक महीने तक पहला गड्‌ढा भरते हैं पूरा गड्‌ढा भर जाने के बाद पानी छिड़क कर उस गडढे को काले पॉलीथिन से ढक देते हैं ताकि कचरे के विघटन की प्रक्रिया शुरू हो जाये। इसके बाद दूसरे गड्‌ढे में कचरा भरना शुरू कर देते हैं। दूसरे माह जब दूसरा गड्‌ढा भी भर जाता है तब उसे भी इसी प्रकार काले पॉलीथिन से ढक देते हैं और कचरा तीसरे गड्‌ढे में भरना शुरू कर देते हैं। जो गडढा सबसे पहले भरा था अब उस गडढे का जैविक कचरा अधगले रूप मे परिवर्तित हो चुका होगा। इस गड्ढ़े से काली पॉलीथिन उत्तर दे एक दो दिन बाद जब इस गड्‌ढे का तापमान कम हो जाए तब उसमें लगभग 5 किग्राम ( करीब 5000) केंचुए छोड़ देते हैं। इसके बाद इस गड्‌ढे को सूखी घास अथवा जूट की बोरियों से ढक देते हैं। कचरे में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहते है। इस प्रकार 3 माह बाद जब तीसरा गड्‌ढा कचरे से भर जाता है तब इसे भी पानी से भिगो कर ढक देते हैं और चौथे को गड्‌ढे में कचरा भरना आरम्भ कर देते हैं। धीरे-धीरे जब दूसरे गड्‌ढे की गर्मी कम हो जाती है तब उसमें पहले गड्‌ढे से केंचुए विभाजक दीवार में बने छिद्रों से होते हुए खुद ही प्रवेश कर जाते हैं और उसमें भी केंचुआ खाद बनना आरम्भ हो जाती है। इस प्रकार लगातार चार माह में एक के बाद एक चारों गड्‌ढे भर जाते हैं। इस समय तक पहले गड्‌ढे में जिसे भरे हुए तीन माह हो चुके हैं केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनकर तैयार हो जाती है। इस गड्‌ढे के सारे केंचुए दूसरे एवं तीसरे गड्‌ढे में धीरे-धीरे  बीच की दीवारों में बने छिद्रों से होते हुए प्रवेश कर जाते हैं।
अब पहले गड्‌ढे से तैयार जैविक खाद निकाल लेते है और गडढे को दोबारा जैविक कचरे भरना शुरू कर देते हैं। इस विधि में एक वर्ष में प्रत्यके गड्‌ढे में एक बार में लगभग 10 कुन्तल कचरा भरा जाता है जिससे एक बार में 7 कुन्तल खाद (70 प्रतिशत) बनकर तैयार होती है। इस प्रकार एक वर्ष में चार गड्‌ढों से तीन चक्रों में कुल 84 कुन्तल अच्छी किस्म की जैविक खाद प्राप्त होती है। इसके अलावा एक वर्ष में एक गड्‌ढे से 25 किलोग्राम और 4 गड्‌ढों से कुल 100 किलोग्राम केंचुए भी प्राप्त होते हैं।

2-  पेड़ विधि


किसान भाईयो वर्मी कम्पोस्ट बनाने की इस विधि मे पेड़ के चारों ओर जैविक कचरा तथा गोबर गोलाई में डाला जाता है। प्रतिदिन गोबर को डालकर धीरे-धीरे पेड़ के चारो ओर इस गोल चक्र को पूरा किया जाता है। जब गोबर और कचरा अधगले रूप में आजाये तो गोबर के ढेर में जरूरत के हिसाब से केंचुए डाल कर गोबर को जूट के बोरे से ढक दिया जाता है। इस गोल चक्र मे नमी के लिए जूट के बोरो के ऊपर से ही समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। ये विशेष प्रजाति के केंचुए अधगले जैविक कचरे और गोबर को खाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाते हैं और अपने पीछे वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते जाते हैं। इस प्रकार ,तैयार वर्मी कम्पोस्ट को इकठ्ठा करके उसमे से केचुओं को छान कर अलग कर लेते है। इसके बाद वर्मी कम्पोस्ट को बोरों में भरकर रख लिया जाता है।

3 बेड विधि




किसान भाईयो इस समय वर्मी कॉम्पोस्ट बनाने की जो विधि सबसे अधिक प्रयोग में लायी जाती है वह है बेड विधि। किसी छायादार जगह पर जमीन के ऊपर 5 से 6 फिट की चौड़ाई और अपनी आवश्यकता अनुसार  लम्बाई के ईंटो की सहायता से बेड बना लिए जाते हैं।  इन बेड़ों की ऊंचाई लगभग 2 फिट रखते है। वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण करने के लिए गाय-भैंस का गोबर, जानवरों के नीचे बिछाए गए घासफूस-खरपतवार के अवशेष आदि का उपयोग किया जाता है। जिन्हें आपस मे मिलाकर ढेर के रूप में बेड बनाये जाते है। इस बेड की ऊंचाई लगभग लगभग 1.5 फिट तक रखी जाती है। बेड के ऊपर जूट की बोरी, पुवाल और घास आदि डालकर ढक दिया जाता है। जिससे केचुओं को अनुकूल वातावरण मिल सके।एक बेड का निर्माण हो जाने पर उसके बगल में दूसरे उसके बाद तीसरे बेड बनाते हुए जरूरत के अनुसार कई बेड बनाये जा सकते हैं। शुरुआत में पहले बेड में केंचुए डालने होते हैं जोकि उस बेड में उपस्थित गोबर और जैव-भार को खाद में परिवर्तित कर देते हैं। एक बेड का खाद बन जाने के बाद केंचुओ को छान कर वर्मी कॉम्पोस्ट से अलग करके इन्हें दूसरे बेड में डाल दिया जाता हैं। और वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है तथा पुनः इस पर गोबर आदि का ढेर लगाकर बेड बना लेते हैं।

4 टटिया विधि


इस विधि मे प्लास्टिक की बोरी या तिरपाल से बांस के माध्यम से टटिया बनाकर वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जाता है। किसान भाई घर पर ही प्लास्टिक की बोरियों को खोलकर और कई बोरियो को एक साथ मिलाकर सिलाई करके ये टटिया तैयार कर सकते है। या फिर बाजार से भी इन्हें खरीद सकते है। इन सिली हुई बोरियो को बांस या लट्ठे के सहारे चारो ओर से सहारा देकर गोलाई में रख कर उसमें गोबर जैव अवशेष डाल दिया जाता है। गोबर के आधगला होने पर गोबर में केंचुए डाल दिए जाते है। टटिया विधि से वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण करने पर लागत बहुत ही कम आती है। और इसे ज़रूरत के अनुसार उठा कर एक जगह से दूसरी जगह पर भी आसानी से रखा जाता है।

वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की पूरी प्रक्रिया


1- किसान भाई से पहले जैविक कचरा तथा गोबर एकत्रित करके इस कचरे में से पत्थर,काँच,प्लास्टिक,रबर तथा धातुओं को निकल कर अलग करलेे।
2-  बड़े जैविक कचरे जैसे फसल की पत्तिया, पौधों के तने, गन्ने की खोयी को काटकर 2-4 इन्च आकार के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल लें। ऐसा करने से कम्पोस्ट खाद बनने में कम समय लगता है।
3- जैविक कचरे से दुर्गन्ध दूर करने तथा अवाँछित जीवों को खत्म करने के लिए कचरे को एक फुट मोटी सतह के रुप में फैलाकर धूप में सुखाया जाता है।
4- अब जैविक कचरे को गाय या भैंस के गोबर में अच्छी तरह मिलाकर करीब एक माह तक सड़ाने सड़ने के लिए गड्डों अथवा बेड में एक ढेर के रूप मे डाल दिया जाता है। इस ढेर मे पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव करते रहे।
5- वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए सबसे पहले बेड या गडढे के फर्श पर बालू की 1 इन्च मोटी पर्त बिछाई जाती है फिर इसके ऊपर 3-4 इन्च मोटाई में फसल का अवशिष्ट की पर्त बिछाते हैं। पुन: इसके ऊपर एक माह तक गले कचरे और गोबर की 18 इन्च मोटी पर्त इस प्रकार बिछाते। इस प्रकार तैयार किये गए 10 फिट लम्बाई के बेड में लगभग 500 कि.ग्रा. कार्बनिक अवशिष्ट समा जाता है। इस बेड को अर्धवृत्त रखा जाता हैं। ताकि केंचुए को घूमने के लिए पर्याप्त स्थान तथा बेड में हवा का प्रबंधन ठीक प्रकार से संभव हो सके। अब इस बेड को 2-3 दिन के लिए ऐसे ही रहने दे। तथा बेड मे उचित नमी बनाये रखने के लिए पानी का छिड़काव करते  रहना चाहिए।
6- दो तीन दिन बाद जब बेड के सभी भागों में तापमान सामान्य हो जाये तब एक बेड मे लगभग 5000 केंचुए  बेड की एक तरफ से इस प्रकार डालते हैं कि यह लम्बाई में एक तरफ से पूरे बेड तक आसानी से पहुँच जाये।
7- बेड या गड्ढ़े को फसलो के अवशिष्ट जैसे धान की पुआल की 3-4 इन्च मोटी पर्त से ढक देते हैं। बेड को ढकने के लिए जूट के बोरो का प्रयोग भी अच्छा होता है। अनुकूल परिस्थितया मिलने पर केंचुए इस पूरे बेड पर अपने आप फेल जाते हैं। ज्यादातर केंचुए बेड में 2-3 इन्च गहराई पर रहकर कार्बनिक पदार्थों का भक्षण करके वर्मी कम्पोस्ट का उत्सर्जन करने लगते हैं।
8- अनुकूल आर्द्रता, तापक्रम तथा हवामय परिस्थितयोंमें 25 से 30 दिनों के बाद बेड की ऊपरी सतह पर 3-4 इन्च मोटी केंचुआ खाद(वर्मी कम्पोस्ट) एकत्र हो जाती हैं। इसे अलग करने के लिए बेड की बाहरी आवरण सतह को एक तरफ से हटाते हैं। ऐसा करने पर जब केंचुए बेड में गहराई में चले जाते हैं तब केंचुआ खाद को बेड से आसानी से अलग कर लिया जाता है। इसके बाद बेड को फिर से पहले की तरह कचरे या जूट के बोरो से ढक कर पर्याप्त आर्द्रता बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव कर देते हैं।
9- लगभग 5-7 दिनों में दोबारा वर्मी कम्पोस्ट की 4-6 इन्च मोटी एक ओर पर्त तैयार हो जाती है। इसे भी पूर्व की भाँति ही अलग कर लिया जाता हैं। तथा बेड में फिर पर्याप्त आर्द्रता बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव किया जाता है।
इसी प्रकार प्रति सप्ताह के अंतराल पर बेड के ऊपर वर्मी कम्पोस्ट की 5 से 6 इंच मोटी पर्त तैयार होती रहेगी। इस प्रकार 40 से 45 दिनों मे लगभग 85 प्रतिशत वर्मी कम्पोस्ट बनकर तैयार हो जाती है।
10- बेड पर बची बाकी 15 प्रतिशत कॉम्पोस्ट कुछ केंचुओं तथा केचुए के अण्डों (कोकूनद) सहित दूसरी बार बेड तैयार करते समय केचुए के संरोप के रुप में प्रयुक्त कर लेते हैं। इस प्रकार लगातार केंचुआखाद उत्पादन के लिए इस प्रकिर्या को दोहराते रहते हैं।
11- वर्मीकम्पोस्ट को प्लास्टिक/एच0 डी0 पी0 ई0 थैले में सील करके पैक किया जाता है ताकि इसमें नमी कम न हो।



वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय ध्यान देने योग्य कुछ बाते


किसान भाईयो कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए विशेष बातोंपर ध्यान देने की अति आवश्यकता होती है । जो इस प्रकार है।
1- वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने वाले बेडों अथवा गडढों में केंचुआ छोड़ने से पहले कच्चे उत्पाद (गोबर व आवश्यक कचरा) का आंशिक विच्छेदन कर लेना जरूरी है।जिसमें 15 से 20 दिन का समय लगता है
2- ये जानने के लिए की वर्मी बेड पर डाले गए गोबर तथा कचरे के ढेऱ में केंचुआ के लिए अनकूल वातावरण है या नही इस ढेर मे गहराई तक हाथ डालने पर गर्मीं महसूस नहीं होनी चाहिए। कचरे के अंदर का तापमान सामान्य होने पर ही उसमे केचुए डालने चाहिए।
3- वर्मी बेडों से अच्छी वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए गोबर तथा कचरे के ढेर मे 30 से 40 प्रतिशत नमी बनाये रखना जरूरी है। क्यों कि कचरें में नमीं कम या अधिक होने पर केंचुए ठीक तरह से कार्य नही करतें।
4- वर्मी कम्पोस्ट बेडों पर पड़े कचरे के ढेर के अंदर का तापमान 20 से 27 डिग्री सेल्सियस रहना बहुत जरूरी  है। तापमान कम या अधिक होने पर केचुए मरने लगते है। इन बेडों पर तेज धूप न पड़ने दें। तेज धूप पड़ने से कचरे का तापमान बढ़ जाता है। और केंचुए बेड की तली में चले जाते हैं या अक्रियाशील रह कर मर जाते हैं।
5-  वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखे कि बेड अथवा गडढे में ताजे गोबर का प्रयोग कभी भी न करें। ताजे गोबर में अधिक गर्मी होने के कारण केंचुए मर जाते हैं।
6-  अच्ची क्वालटी की वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए जैविक कचरे में गोबर की कम से कम 20 प्रतिशत मात्रा होनी चाहिए।
7- कांग्रेस घास को फूल आने से पहले गाय अथवा भैंस के गोबर में मिला कर और आंशिक विच्छेदन कर के इस का प्रयोग जैविक कचरे के रूप मे करने से अच्छी केंचुआ खाद प्राप्त होती है।
8- कचरे का पी. एच. उदासीन (7.0 के आसपास) रहने पर केंचुए तेजी से कार्य करते हैं। कचरे का पी. एच. उदासीन बनाये रखने के लिए। बेड तैयार करते समय उसमें राख (ash) अवश्य मिलाएं।
9- केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसी भी तरह के कीटनाशकों का उपयोग न करें।
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Sunday, January 23, 2022

समय से किसान क्रैडिट कार्ड जमा करने मे किसानों का फायदा। लोनमाफी के चक्कर मे न पड़े किसान।


किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) 
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) भारतीय किसानों के लिये सरकार द्वारा लॉन्च की गयी एक योजना है जिसके अंतर्गत किसानों को कम  ब्याज दर पर बैंको द्वरा ऋण उपलब्ध कराना है। ताकि उन्हें असंगठित क्षेत्र से ज़्यादा ब्याज दरों पर पैसा उधार ना लेना पडे। किसान आवश्यकता पड़ने पर इस कार्ड से लोन ले सकते हैं। यदि किसान समय पर भुगतान करते हैं तो इस लोन पर लागू ब्याज दर भी कम ही रहती है। 
 किसान क्रेडिट कार्ड जिसको  के.सी.सी. (kcc) लोन के नाम से भी जानते है, उसके बारे में कुछ तथ्य साझा करने जा रहा हूं। उन सब तथ्यों के आधार पर आप को ये समझने में आसानी होगी कि लोन समय पर भरने से फायदा है या लोन माफी का इंतज़ार करने में।
(1)किसान क्रेडिट कार्ड पर 1 रुपए से लेकर 3 लाख रुपए तक 7% की दर से ब्याज लगता है जो छ: माही आधार पर(31 मार्च और30 सितंबर को )लगता है, अगर आपने एक वर्ष के भीतर अपने खाते का नवीनीकरण जिसको ज्यादातर लोग के.सी.सी. पलटी करवाना भी बोलते है, करवा लिया तो आपको सब्सिडी के रूप में 3% ब्याज वापस मिल जाता है। यानी जो किसान समय से अपना लोन भर देते है, उसको केवल 4 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ही यह लोन मिलता है।
(2) जो किसान एक वर्ष के भीतर अपने खाते का नवीनीकरण नहीं करवा पाते उन्हें सब्सिडी का फायदा भी नहीं मिल पाता, और साथ में ज्यादातर बैंको में उसके लोन पर ब्याज के साथ पेनल्टी भी लगती है, और उसके खाते पर ब्याज दर 7% के स्थान पर 9% लगने लगयी जाती है, इसके साथ ही प्रतिवर्ष यह ब्याज दर बढ़ती रहती है, कुछ मामलो और बैंको में यह  3 वर्ष बाद 14 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
 बहुत से किसान नेताओ के चुनावी वादों के चक्कर में किसान भाई लोन माफी की उम्मीद में अपने खातों को नियमित नहीं भरते और जब बैंक रोड़ा के तहत जमीन नीलामी की कारवाई करता है तब ब्याज,पेनल्टी ,लीगल चार्ज और रोड़ा चार्ज के साथ पैसे जमा करवाते है।
(4)कोई भी सरकार कभी भी सम्पूर्ण के.सी.सी लोन माफ नहीं कर पाएगी, जब भी कोई सरकार लोन माफी की घोषणा करती है तो लोगो को लगता है, की उनका सम्पूर्ण लोन माफ हो जाएगा ,लेकिन जब बैंको के पास इसका सर्कुलर आता है,तो पता चलता है कि उसमे बहुत सी शर्तें है, और केवल किसानों का बीस हजार, तीस हजार अधिकतम 50 हजार तक का ही कर्जा माफ हुआ है, उसमे भी बहुत सी छुपी हुई शर्तें।
अब एक एग्जाम्पल के माध्यम से समझते है, 
माना किसी किसान ने 3 लाख रुपए का केसीसी लोन लिया और वह उसका तीन वर्ष तक समय पर नवीनीकरण कराता रहा तो उसने 4 वर्ष में कूल ब्याज 12000*4=48000 रुपए भरा।
अब दूसरे मामले किसान ने लोन माफी के इंतज़ार में 4 वर्षो तक एक रुपया भी नहीं भरा तो उसका 
पहले वर्ष का ब्याज = 300000 का 7 प्रतिशत =21000(एक वर्ष बाद कूल मूलधन 321000)
दूसरे वर्ष का ब्याज=321000 का 9 प्रतिशत=28890(दूसरे वर्ष के बाद कूल मूलधन 349890)
तीसरे वर्ष का ब्याज=349890 का 11 प्रतिशत =38487(तीसरे वर्ष के बाद कूल मूलधन 388377)
चोथे वर्ष का ब्याज=388377 का 14 प्रतिशत=87472
4 वर्षो बाद कूल मूलधन=475849

उक्त दोनों मामलों में हमने देखा जिस किसान ने अपने लोन का भुगतान समय पर किया है उसे केवल 48000 रुपए का ब्याज भरना पड़ा और जिसने समय पर भुगतान नहीं किया उसे केवल ब्याज के रूप में 175849 रुपए भरने पड़े, अगर इस पर पेनल्टी ,लीगल चार्ज और रोड़ा चार्ज जोड़ते है तो यह राशि लगभग 250000 के लगभग जाती है।
(5)अगर आपने समय पर भुगतान नहीं किया तो आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है जिससे भविष्य में आपको कोई भी लोन लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
(6)बहुत से किसान समझौते के तहत लोन में छूट के इंतज़ार में बैठे रहते है ,तो मैं उनको बताना चाहता हूं समझौते के तहत लोन बैंक ज्यादातर उन मामलों में ही करता है जब बैंक ने रिकवरी के अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर लिए और ऑक्शन भी फ़ैल हो जाए, और खाते को एनपीए हुए काफी ज्यादा समय हो जाए।
(7)अगर एकमुश्त समझौते के तहत आपने लोन राशि में कुछ छूट के साथ लोन बंद भी करवा लिया तो वो भी आपकी सिबिल में दिखता है कि आपने लोन को समझौते के तहत बंद करवाया है तो आपको कहीं दुबारा से लोन नहीं मिलेगा।
5 साल में एक बार चुनाव होते है चुनावों के आसपास अगर कोई सरकार 40-50 हजार रूपए माफ भी कर देती है तो भी आप उन किसानों के मुकाबले  काफी नुकसान में रहते हो जिन्होंने अपने केसीसी का भुगतान समय पर किया है।
(8) जो भी किसान अपने खाते का समय पर नवीनीकरण करवाता है उसको बैंक प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत  केसीसी लिमिट बढ़ाने की सुविधा भी देता है।
(9)अगर आपके पास केसीसी पलटी के समय पूरी राशि नहीं भी होती है तो भी ज्यादातर बैंक केवल ब्याज जमा करवा कर लिमिट नवीनीकरण कर देते है।
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